Retail inflation

Retail Inflation: जून की खुदरा महंगाई के आंकड़े , RBI गवर्नर बोले- 4% मुद्रास्फीति का लक्ष्य आसान नहीं

भीषण गर्मी के साथ साथ ,अब बारिश की वजह से टमाटर, आलू और प्याज सहित हरी सब्जियों की कीमतें बढ़ने के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि खुदरा महंगाई के चार फीसदी पर आने तक ब्याज दरों में कटौती का इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा, महंगाई की मौजूदा दर और उसे चार फीसदी पर लाने के लक्ष्य के बीच अंतर को देखते हुए नीतिगत दर पर रुख में बदलाव के सवाल का अभी कोई मतलब नहीं है
दास ने बृहस्पतिवार को कहा, जब हम टिकाऊ आधार पर खुदरा महंगाई को चार फीसदी पर लाने की दिशा में बढ़ेंगे, तभी हमें रुख में बदलाव के बारे में सोचने का भरोसा मिलेगा। महंगाई को लक्ष्य के अनुरूप लाने का काम उम्मीद के मुताबिक आगे बढ़ रहा है, लेकिन चार फीसदी का लक्ष्य अंतिम पड़ाव है, जो आसान नहीं है।
आरबीआई ने जून में पेश द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में खुदरा महंगाई चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। 2024-25 की पहली तिमाही में यह 4.9 फीसदी, दूसरी तिमाही में 3.8 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रह सकती है।

जीडीपी : 7.2 फीसदी रहेगी वृद्धि की रफ्तार
आरबीआई गवर्नर ने जीडीपी के संबंध में कहा, आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने वाले कई तत्व अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। बीते वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर बहुत मजबूत थी और यह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी मजबूत बनी हुई है।

केंद्रीय बैंक ने जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि निजी खपत बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में भी सुधार देखने को मिल रहा है। इन वजहों से आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की वृद्धि दर को सात फीसदी से बढ़ाकर 7.2 फीसदी कर दिया है।

दालों और सब्जियों की कीमतों में तेजी
दास ने कहा, मार्च-अप्रैल के दौरान मुख्य महंगाई में और नरमी देखने को मिली, लेकिन खाने-पीने की वस्तुओं की ऊंची कीमतों के कारण इसका असर नहीं दिखा। कुछ नरमी के बावजूद दालों और सब्जियों की महंगाई दोहरे अंकों में बनी रही। सर्दियों के मौसम में मामूली सुधार के बाद गर्मियों में सब्जियों की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। जून, 2023 के बाद से लगातार 11वें महीने मुख्य महंगाई में नरमी रही।
बढ़ने लगा रेपो दर में कटौती का दबाव
आरबीआई पर रेपो दर में कटौती का दबाव बढ़ने लगा है। केंद्रीय बैंक की ब्याज दर निर्धारण समिति के बाहरी सदस्य जयंत आर वर्मा और आशिमा गोयल रेपो दर में कम-से-कम 0.25 फीसदी कटौती की वकालत कर रहे हैं। रेपो दर में लगातार आठ बार से कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह 6.5 फीसदी पर बनी हुई है।

 

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