Giloy Benefits And Side Effects

गिलोय के औषधीय गुण, फायदे और नुकसान : Giloy Benefits And Side Effects

Giloy Benefits And Side Effects आज के समय में हम सब आयुर्वेद और देसी दवाइयों की तरफ जा रहे है इस का सबसे बड़ा कारन है ,देसी और घरेलू दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट का काम होना ,आज हम एक ऐसी बेल के बारे में बात करेंगे जो हमारे आस पास आसानी से मिल जाती है और इसकी फायदे अनेक है जी है ये है गिलोय गिलोय का अंग्रेजी नाम टिनोसपोरा है जिसको गुडूची और के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह से यह ज्यादातर उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है जिनमे यह भारत, म्यांमार और श्री लंका में भी पाया जाता है. यह एक मेनिस्पेर्मसाए नामक परिवार से तालुक रखता है जो की एक बेल लता वाली होती है, और उनका इस्तेमाल खाने के साथ ही जडी बुटी के लिए भी किया जाता है.
गिलोय (Tinospora Cordifolia) एक प्रकार की बेल है जो आमतौर पर जगंलों-झाड़ियों में पाई जाती है. प्राचीन काल से ही गिलोय को एक आयुर्वेदिक औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. गिलोय के फायदों (Giloy ke fayde) को देखते हुए ही हाल के कुछ सालों से अब लोगों में इसके प्रति जागरुकता बढ़ी है और अब लोग गिलोय की बेल अपने घरों में लगाने लगे हैं।इसे पंजाबी में गिल्लो, बंगाली में गुलंचा, मराठी में गुडूची, नेपाल में गुर्जो के नाम से जाना जाता है.

गिलोय का पौधा
हालांकि अभी भी हम में से काफी लोग गिलोय की पहचान ठीक से नहीं कर पाते हैं.आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गिलोय की पहचान करना बहुत आसान है. इसकी पत्तियों का आकार पान के पत्तों के जैसा होता है और इनका रंग गाढ़ा हरा होता है.आप गिलोय को सजावटी पौधे के रुप में भी अपने घरों में लगा सकते हैं.यह एक प्रकार का लता युक्त पौधा होता है जिसकी लतिका 15 सेंटी मीटर तक फैली हुई है. यह देखने में छोटे से पान के पत्ते की तरह होता है साथ ही यह दिल के आकार की तरह भी दिखता है. यह ज्यादातर जंगलो या पहाड़ों की कठोर मिट्टी पर उपजा हुआ पाया जाता है इसमें छोटे छोटे बीज गुच्छों में लगे होते है. जो शुरुआत में हरे होते है और पक जाने पर लाल हो जाते है. गिलोय की खासियत यह है कि यह जिस तरह के भी पेड़ों पर फैलता है, उस पेड़ के जो भी अच्छे औषधीय गुण होते है वो इसके पौधों में समाहित हो जाते है.

आयुर्वेद और गिलोय
सदियों से इस पौधे का प्रयोग होते आ रहा है. गिलोय एक भारत का औषधी युक्त पौधा है, जिसका उपयोग आयुर्वेद में कई बिमारियों के उपचार में उपयोग होता है. पुराने हिन्दू चिकित्सक ने इसे गोनोरिया के लिए, यूरोपीयन इसे टॉनिक और मूत्र वर्द्धक के रूप में इस्तेमाल करते थे. भारत के फार्माकोपिया में इसे आधिकारिक रूप से मान्यता मिली हुई है, जिससे दवा का निर्माण कर विभिन्न रोगों में जैसे की सामान्य कमजोरी, बुखार, अपच, पेचिश, गोनोरिया, मूत्र रोग, हेपेटाइटिस, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज इत्यादि के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके लतिका के जड़ का उपयोग भी आंत की बीमारी में किया जाता है. आयुर्वेद में इसके अनेक नाम है, जैसे की चक्रांगी और अमृता. यह एक ऐसी बूटी है कि यह आयुर्वेदिक दवाओं का एक महत्वपूर्ण घटक इसके बिना आयुर्वेद में अभ्यास संभव नहीं हो सकता है.गिलोय को गुडूची (Guduchi), अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। इसे नीम गिलोय (Neem giloy) के नाम से जाना जाता है.
गिलोय का वनस्पतिक नाम तिनोस्पोरा कोर्दिफोलिया है. इसका सेवन इतना कारगर है कि यह कैंसर को रोकने की क्षमता भी रखता है. साथ ही कुष्ठ रोग,पीलिया, स्वाइन फ्लू से भी लाभकारी है.

गिलोय में पाए जाने वाले पोषक तत्व :
गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है. इसके अलावा गिलोय में कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक,कैल्शियम और मैगनीज भी काफी मात्रा में मिलते हैं.

गिलोय के औषधीय गुण :
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की पत्तियां, जड़ें और तना तीनो ही भाग सेहत के लिए बहुत गुणकारी हैं लेकिन बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का ही होता है. गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं ,साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी रोगों आदि से आराम दिलाती है. बहुत कम औषधियां ऐसी होती हैं जो वात, पित्त और कफ तीनो को नियंत्रित करती हैं, गिलोय उनमें से एक है. गिलोय का मुख्य प्रभाव टॉक्सिन (विषैले हानिकारक पदार्थ) पर पड़ता है और यह हानिकारक टॉक्सिन से जुड़े रोगों को ठीक करने में असरदार भूमिका निभाती है.

गिलोय के सेवन से  रोगों में फायदे:-

मधुमेह रोग को दूर करने में सहायक :
यह मधुमेह के रोग को दूर रखने में भी सहायता करता है.गिलोय हाईपोग्लोकेमिक एजेंट के रूप में काम करता है और जो भी व्यक्ति मधुमेह टाइप 2 से पीड़ित है, अगर वो इसका रस पिए तो यह इलाज में सहायक होता है. गिलोय खून में मौजूद मधुमेह के स्तर को कम करने में मदद करता है.
विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय हाइपोग्लाईसेमिक एजेंट की तरह काम करती है और टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित रखने में असरदार भूमिका निभाती है। गिलोय जूस (giloy juice) ब्लड शुगर के बढे स्तर को कम करती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है और इन्सुलिन रेजिस्टेंस को कम करती है। इस तरह यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी औषधि है.

खुराक और सेवन का तरीका : डायबिटीज के लिए आप दो तरह से गिलोय का सेवन कर सकते हैं.

गिलोय जूस : दो से तीन चम्मच गिलोय जूस (10-15ml) को एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें.

गिलोय चूर्ण : आधा चम्मच गिलोय चूर्ण को पानी के साथ दिन में दो बार खाना खाने के एक से डेढ़ घंटे बाद लें.

डेंगू (Giloy benefits in dengue ):
डेंगू से बचने के घरेलू उपाय के रुप में गिलोय का सेवन करना सबसे ज्यादा प्रचलित है। डेंगू के दौरान मरीज को तेज बुखार होने लगते हैं. गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार को जल्दी ठीक करते हैं साथ ही यह इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती है जिससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता है.

खुराक और सेवन का तरीका : डेंगू होने पर दो से तीन चम्मच गिलोय जूस (Giloy juice) को एक कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार खाना खाने से एक-डेढ़ घंटे पहले लें. इससे डेंगू से जल्दी आराम मिलता है.

गठिया रोग में लाभकारी (Giloy benefits in Arthritis):
इसमें एंटी फ्लेमिनेतरी और एंटी गठिया सम्बन्धी गुण होते है, इसलिए यह गठिया रोग में सहायक है. अगर गिलोय के पाउडर को गर्म दूध और अदरक के साथ खाया जाए तो यह गठिया रोग में लाभकारी होगा.

पाचन शक्ति में लाभकारी ( Giloy Benefits in Digestion :
गिलोय पाचन शक्ति को दुरुस्त रखने का काम करता है. यह आंत सम्बन्धी रोगों का इलाज करने में बहुत फायेदेमंद है. कब्ज की बीमारी को रोकने के लिए इसका गुड और आवले के साथ अगर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह पाचन के लिए सहायता करता है. अपच की स्थिति में गिलोय को आधे ग्राम पोएदर के साथ कुछ आवला को मिलाकर इसको खाने से अच्छा परिणाम मिलेगा, साथ ही गिलोय के रस को दही की लस्सी,छाछ के साथ मिलाकर भी पीने से फायदा होगा.

एनीमिया बीमारी में लाभकारी (Giloy Benefits in Anemia ):
अक्सर देखा जाता है कि महिलाओं में एनीमिया की परेशानी बहुत होती है. यदि वे महिलाएं घी और शहद के साथ गिलोय मिलाएं और फिर इसका सेवन करें, इससे उनकी खून की कमी दूर होगी.

दमा एवं अस्थमा की बीमारी में लाभकारी :
सीने में जकडन, साँस की तकलीफ, घरघराहट, खांसी से अगर कोई व्यक्ति परेशान है तो यह दमा और अस्थमा के लक्षण है. इस तरह के अगर लक्षण दिखे तो व्यक्ति को गिलोय की जड़ को चबाना शुरू कर देना चाहिए तो इन तकलीफों से कुछ राहत मिल सकती है.

खुराक और सेवन का तरीका : अस्थमा से बचाव के लिए गिलोय चूर्ण में मुलेठी चूर्ण मिलाकर शहद के साथ दिन में दो बार इसका सेवन करें. यह मिश्रण सांसो से जुड़ी अन्य समस्याओं से आराम दिलाने में भी कारगर है.

बुखार (Giloy benefits for fever ) :
गिलोय या गुडूची (Guduchi) में ऐसे एंटीपायरेटिक गुण होते हैं जो पुराने से पुराने बुखार को भी ठीक कर देती है. इसी वजह से मलेरिया, डेंगू और स्वाइन फ्लू जैसे गंभीर रोगों में होने वाले बुखार से आराम दिलाने के लिए गिलोय  के सेवन की सलाह दी जाती है.

खुराक और सेवन का तरीका : बुखार से आराम पाने के लिए गिलोय घनवटी (1-2 टैबलेट) पानी के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें.

लीवर के लिए फायदेमंद (Giloy benefits for liver ) :
अधिक शराब का सेवन लीवर को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में गुडूची सत्व या गिलोय सत्व का सेवन लीवर के लिए टॉनिक की तरह काम करती है। यह खून को साफ़ करती है और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम का स्तर बढ़ाती है. इस तरह यह लीवर के कार्यभार को कम करती है और लीवर को स्वस्थ रखती है. गिलोय के नियमित सेवन से लीवर संबंधी गंभीर रोगों से बचाव होता है.

खुराक और सेवन का तरीका : एक से दो चुटकी गिलोय सत्व को शहद के साथ मिलाकर दिन में दो बार इसका सेवन करें.

कोरोना के समय में गिलोय का इस्तेमाल
कोरोना महामारी से देश भर में गिलोय की बिक्री बहुत अधिक हो गई है. इसका कारण है गिलोय में पाए जाने वाले औषधीय गुण. जी हां गिलोय में कई बिमारियों से लगने वाले गुण पाने जाते है. सबसे महत्वपूर्ण गुण यह है कि यह इम्युनिटी यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में बेहद फायदेमंद है. कोरोना के इस दौर में इम्युनिटी बढ़ाना बेहद आवश्यक भी है इसलिए इसका इस्तेमाल भारत में बहुत अधिक हो रहा है.

गिलोय के फ़ायदे (Benefits of Giloy) :-

रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity System) में वृद्धि :
गिलोय हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है. यह एंटी ओक्सिडेंट का मुख्य स्रोत है. साथ ही यह हमारे शरीर की मुख्य कोशिकाओं को स्वास्थ्य रखने और उन्हें रोगों से छुटकारा दिलाने में भी सहायक है. गिलोय हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थो को भी बाहर निकालने में सहायक है यह खून का शुद्धिकरण करता है. हमारे शरीर में मौजूद जीवाणुओं जो की अधिकांशतः रोगों के कारण है, जिनसे यह लड़कर यकृत के रोग और मूत्र मार्ग में उत्पन हुए अवरोधों को ठीक करने में सहायता करता है. गिलोय का उपयोग दिल की बीमारी के साथ ही बांझपन के उपचार में भी उपयोगी समझा जाता है.

एनीमिया Anemia:
शरीर में खून की कमी होने से कई तरह के रोग होने लगते हैं जिनमें एनीमिया सबसे प्रमुख है. आमतौर पर महिलायें एनीमिया से ज्यादा पीड़ित रहती हैं। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं के लिए गिलोय का रस काफी फायदेमंद है. गिलोय का रस (Giloy juice) का सेवन शरीर में खून की कमी को दूर करती है और इम्युनिटी क्षमता को मजबूत बनाती है.

खुराक और सेवन का तरीका : दो से तीन चम्मच (10-15ml) गिलोय जूस (Giloy juice) को शहद या पानी के साथ दिन में दो बार खाने से पहले लें.

गिलोय स्वास्थ्य संबंधी फायदे :-
संस्कृत में गिलोय को अमृत के रूप में जाना जाता है, जिसका उसके औषधीय गुण की वजह से अनुवाद किया गया है अमृता की जड़. अर्थात इसकी जड़ का भी उपयोग किया जाता है, आयुर्वेद में इसके रस, पाउडर और कैप्सूल भी बना कर उपयोग किये जाते है.

इसके स्वास्थ्य से संबंधित फ़ायदे निम्न है-

ऑक्सीजन लेवल में वृद्धि :
गिलोय साँस लेने में तकलीफों की बीमारी को भी कम करने में सहायता करता है. इसका उपयोग अक्सर कफ़, सर्दी और टोंसिल जैसी बिमारियों के इलाज के लिए किया जाता है.

आँखों की शक्ति बढ़ाता है :
गिलोय आँखों से देखने की क्षमता को भी ठीक रखने में सहायता करता है. इसके लिए गिलोय के पाउडर को पानी में उबाल कर उसको ठंडा करके फिर इस पानी से पलकों को धोना होता है इस प्रक्रिया से आँखों की रोशनी बढ़ाई जा सकती है.

मानसिक तनाव को कम करने में सहायक :
गिलोय मानसिक तनाव और चिंता को भी कम करने में सहायक है. शरीर में मौजूद अवशिष्ट पदार्थ को निकाल कर यह मन को शांति प्रदान करता है और यदाशत को बढ़ाने में भी कारगर है.

इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक :
बीमारियों को दूर करने के अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना भी गिलोय के फायदे  में शामिल है. गिलोय सत्व या गिलोय जूस (Giloy juice) का नियमित सेवन शरीर की इम्युनिटी पॉवर को बढ़ता है ,जिससे सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है.

खुराक और सेवन का तरीका : गिलोय इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती है। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दिन में दो बार दो से तीन चम्मच (10-15ml) गिलोय जूस का सेवन करें.

गिलोय शरीर की अनेक बीमारियों को दूर करता है इसलिए स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है.

गिलोय त्वचा संबंधी फायदे :-

मुहासों की समस्या में सहायक :
गिलोय त्वचा के लिए बहुत ही लाभदायक है, इसके बीज को अगर पीस करके इसका लेप चेहरे पर लगाये तो इसको लगाने से कील मुहासों की समस्या नहीं होगी.
झुर्रियां एवं डार्क स्पॉट दूर करने में सहायक :-
गिलोय में एंटी एजिंग के गुण समाहित होते है जोकि बढ़ते हुए उम्र के असर को जैसे कि त्वचा पर झुरियों का पड़ जाना, डार्क स्पॉट्स, उम्र के साथ त्वचा पर रेखाए पड़ जाती है, उसको रोकने में मददगार होता है.

खून साफ़ करने में असरदार :
गिलोय का इस्तेमाल करने से खून की साफ होता है क्योकि यह कोश्काओं को स्वस्थ, और निरोग रखने में सहायक है. साथ ही यह टोक्सिन्स को बाहर निकालता है. इस तरह से यह त्वचा को सुंदर चमकीला और दाग धब्बो रहित बनाता है.

एलर्जी दूर करने में सहायक :
यह शरीर में उत्पन्न हुए एलर्जी को खत्म करता है यह सोरायसिस जैसी खतरनाक त्वचा सम्बन्धी बीमारी से भी बचाता है. यदि किसी व्यक्ति को हाथ पैर या फिर त्वचा में किसी प्रकार की कोई एलर्जी है, तो वह निरंतर गिलोय का सेवन करें और साथ ही इसका पेस्ट बनाकर लगाये. बहुत राहत मिलेगी.

गिलोय जूस के फ़ायदे (Giloy Juice Benefits)
गिलोय के जूस को अगर सुबह खाली पेट लिया जाए तो यह बहुत ही फायदा कारक होता है. गिलोय के तने में स्टार्च की मात्रा होती है, इसलिए इसका जूस भी बहुत फ़ायदे मंद होता है. जैसे –

  1. स्वाद भले ही थोडा तीखा हो लेकिन यह त्वचा पर पिम्पल्स या उससे जुडी समस्या एक्जिमा, सोरायसिस को जड़ से खत्म कर देता है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से इसमें खून को साफ़ करने की क्षमता होती है.
  2. गिलोय का जूस पित, कफ़, वात जैसी समस्या से निजात दिलाता है.
  3. गिलोय का जूस किसी भी तरह की वायरल बीमारियों से बचाव करता है.

गिलोय का जूस मन को शांत रखता है. गिलोय सेवन करने की विधि
गिलोय को अलग – अलग चीजों के साथ एवं अलग – अलग तरीके से खाया जा सकता है, और साथ ही बिमारियों से भी बचा जा सकता है, जैसे कि

चाय के रूप में :
गिलोय को अगर चाय के रूप में सेवन करे तो भी यह बहुत फायदेमंद है. इसकी चाय बनाना बहुत आसान भी है और यह ज्यादा कडवी भी नहीं लगती है. वास्तव में उसको पीने से आनंद की अनुभूति होती है.

चाय बनाने की विधि-
एक कप चाय बनाने के लिए  गिलोय के ताजे पत्ते को साफ़ धोकर 5 से 6 पते एक कप पानी में उबलने के रख दे. उसके बाद 4-5 काली मिर्च, आधा चम्मच जीरा के साथ ही आप इसमें चाहे तो शक्कर या शहद के साथ भी मिला कर पी सकते है. यह चाय मानसिक तनाव को कम करती है, यह याददाश्त को भी बढाती है, यह एक बहुत ही आसन सी घरेलू औषधी है.

जूस बनाकर :
गिलोय का जूस आज कल बाजार में आसानी से मिल जाता है, और इसे हम घर में भी आसानी से बना सकते है.

जूस बनाने की विधि-
गिलोय की लता लगभग 1 फीट तक ले, उसके उपर की परत को हटाकर उसके लता को अच्छे से पीस ले, फिर इसको 5-6 ग्लास पानी, लौंग डाल कर अच्छे से खौला लें. जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान कर आप इसका सेवन कर सकते है. यह जूस जोड़े के दर्द में आराम देता है.

गिलोय चूर्ण :
गिलोय का चूर्ण यानि पाउडर बनाकर सेवन किया जा सकता है. यह पाउडर आपको बाजार में आसानी से मिल जायेगा. पंतजलि में गिलोय चूर्ण नाम से इसका पाउडर मिलता है. आप उसका इस्तेमाल कर सकते है. इसका पाउडर आप ऐसे ही पानी के साथ खा सकते हैं.

चूर्ण बनाने की विधि –
सबसे पहले आपको गिलोय के तने की आवश्यकता होती है. आप गिलोय के पौधे से उसके तने एवं पत्तियों को तोड़ें और फिर पत्तियां अलग करके इसकी डंडियों को छोटा करके पीस लें. और इसे पानी में कुछ देर भिगों कर रखें. इससे उसका सारा स्टार्च पानी में मिक्स हो जायेगा. इसके बाद आप इसे छान लें. अब छाने हुए पानी को थोड़ी देर ऐसे ही रखें रहने दें जिससे कि  स्टार्च नीचे जमा हो जायेगा. और आप ऊपर ऊपर का पानी निकाल दें और नीचे जमे स्टार्च को सूखा कर इसका पाउडर बना लें.

गिलोय का काढ़ा :
गिलोय की पत्तियों से आप काढ़ा बनाकर भी आप इसका सेवन कर सकते है. यह सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.और इसे बनाना भी आसान है.

काढ़ा बनाने की विधि –
सबसे पहले आप अदरक और काली मिर्च को कूट लें, इसके बाद 2-3 कप पानी लें और उसमें गिलोय की पत्तियां, अजवाइन, काली मिर्च, तुलसी, अदरक, दालचीनी आदि चीजों को डालें और इसे कुछ देर लगभग 15 -20मिनिट भिगोकर रखें. इसके बाद इसे 15 से 20 मिनिट तक गैस में रखकर उबालें. जब यह केवल 1 कप बचें तो इसे बंद करके ठंडा करें, और फिर इसका सेवन करें. यदि आपको गिलोय की पत्तियां नहीं मिलती है तो आप बाजार से बना हुआ सूखा चूर्ण भी ला सकते है और इसे पानी में उबालकर इसका सेवन कर सकते है.

गिलोय घनवटी टेबलेट :
गिलोय की टेबलेट बनाकर भी आप गिलोय का सेवन कर सकते है. जी हां आपको बता दें कि बाजार में गिलोय की टेबलेट यानी गोलियाँ भी मिलती है. आप रोजाना दिन में 2 बार इसे पानी के साथ ले सकते हैं.

गोली बनाने की विधि –
गिलोय की गोली बनाने की विधि इसके चूर्ण बनाने की विधि के समान ही है. आप इसका चूर्ण बनाएं और फिर इसमें थोडा थोड़ा पानी मिला कर इसकी गोलियां बना लें. फिर इसे सूखा कर इसका इस्तेमाल करें.

गिलोय के नुकसान और सावधानियां (Giloy side effects & Precautions):

गिलोय के फायदे पढ़कर अगर आपको लगता है कि गिलोय से सिर्फ लाभ ही लाभ हैं तो ऐसा नहीं है। अगर आप ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में गिलोय का सेवन करते हैं तो आपको गिलोय के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं। आइये जानते हैं कि गिलोय के नुकसान  क्या हैं और किन परिस्थितयों में गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

  • 1 ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा (auto Immunity disease) :
    गिलोय के सेवन से शरीर की इम्युनिटी पॉवर मजबूत तो होती है लेकिन कई बार इम्युनिटी के अधिक सक्रिय होने की वजह से ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए ऑटो इम्यून बीमारियों जैसे कि मल्टीप्ल स्केरेलोसिस या रुमेटाइड आर्थराइटिस आदि से पीड़ित मरीजों को गिलोय से परहेज की सलाह दी जाती है.
  • 2 निम्न रक्तचाप (Low Blood pressure) :
    जो लोग पहले से ही निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के मरीज हैं उन्हें गिलोय के सेवन से परहेज करना चाहिए क्योंकि गिलोय भी ब्लड प्रेशर को कम करती है। इससे मरीज की स्थिति बिगड़ सकती है। इसी तरह किसी सर्जरी से पहले भी गिलोय का सेवन किसी भी रुप में नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड प्रेशर को कम करती है जिससे सर्जरी के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
  • 3 गर्भावस्था (Pregnancy) :
    गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी गिलोय से परहेज करने की सलाह दी जाती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान गिलोय के नुकसान के प्रमाण मौजूद नहीं है फिर भी बिना डॉक्टर की सलाह लिए गर्भावस्था में गिलोय का सेवन ना करें.
  • 4 छोटे बच्चे 5 -6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

अतः गिलोय हर बीमारी एवं हर तरीके से आपके लिए फायदेमंद है. किन्तु इसे या इससे बने उत्पाद, दवा या कैप्सूल जिसका भी आप सेवन कर रहे हैं, तो डॉ. की देख रेख में ही करें.

अब आप गिलोय के फायदे और नुकसान से भलीभांति परिचित हो चुके हैं. इसलिए अपनी ज़रुरत के हिसाब से गिलोय का नियमित सेवन शुरु कर दें। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि गिलोय जूस (Giloy juice) या गिलोय सत्व का हमेशा सीमित मात्रा में ही सेवन करें. हालांकि गिलोय के नुकसान (Giloy ke nuksan) बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलते हैं लेकिन फिर भी अगर आपको किसी तरह की समस्या होती है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर को ज़रुर सूचित करें.
गिलोय में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है, इससे कई बड़ी सारी बीमारी जैसे बुखार, पीलिया, कैंसर, डायरिया आदि असरदार है , इसलिए इसे रामवाण दबा कहते है.

 

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